DARU POEM - JUST FOR FUN


दिल का दर्द अपना किसे बताउ
पीनी है दारू मुझे कहा से .
मे तो अब दोस्तो की बातो मे नशा ढूँढता हू,
आवारा बनके बेजान सड़को पे बेवड़े की तरह घूमता हु..
फ़टाहाल बेढाल,चाल का कोई होश नही,
सब चिल्ला रहे है यहा पे,गूंगा भी खामोश नही,
ना जाने ये गम की सुखी घटा कब जाएगी,
कब गुजरात सरकार दारू से बैन हटाएगी,
पीना बुरा नही है दोस्तो,पीने की लत बुरी है,
लीवर खराब होने का डर मुझे भी है,पर क्या करू मजबूरी है,
अब तो अफ़ीम ग़ंज़ा का सिर्फ़ सहारा है
केसे बताउ बीड़ी सिगरेट क साथ मेने अपना वक़्त केसे गुज़रा है,
अब तो alcholol की नदी मे नहाना चाहता हु,
पीना बुरा नही है,उसकी लत बुरी है,ये आज सबको बताना चाहता हु.


P.S Just For FUN ;) 

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